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Jay Bhatt

Others

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Jay Bhatt

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में बस लिखते रहना चाहता हूँ

में बस लिखते रहना चाहता हूँ

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अकेलापन और खालीपन से की थी शुरुआत,

आज जाकर सफल हुई,

लिखे थे उस रात मैंने कई शब्द,

वो सब कहानी थी आज जाकर ज़िन्दगी हुई ।


रातो को न सोता था,

अपने राज़ को शब्दों में पिरोता था,

कल्पनाएँ बहुत करता था,

उसमे ज़िन्दगी को ढूंढ़ने की कोशिश करता था ।


खुद से ही प्रेरित होता था,

खुद मे ही खुद को ढूंढता था,

अक्सर भटक जाता था सफर में,

पर चलना नहीं छोड़ता था ।


फिर लिखी एक पहली कविता,

जो सीधे मोक्ष ले गई,

भटक गया वहाँ भी,

पर उस रब की कृपा से रूह मेरी मदहोश हो गई ।


लिखने का सिलसिला चलता रहा,

पन्नो पे में ज़िंदगानी लिखता रहा,

रुका नहीं एक पल भी कहीं में,

रगो में खून के बदले स्याही भरता रहा ।


कई बार लगा के सब छोड़ देता हूँ,

अपनी ज़िन्दगी रोक लेता हूँ,

पर हर बार एक आवाज़ सुन कर रुक जाता हूँ,

जीवन और मौत को भी पन्नो पे उतार देता हूँ।


मैं बस इतना कहना चाहता हूँ,

मत रोको मुझे,

मैं बस लिखते रहना चाहता हूँ ।

मैं बस लिखते रहना चाहता हूँ ।


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