STORYMIRROR

Mohammed Khan

Others

4  

Mohammed Khan

Others

मैंने देखी है वो सुबह

मैंने देखी है वो सुबह

1 min
399

मैंने देखी है वो सुबह 

जो एक नया मोड़ लेगी 

जो कैद है ज़ंजीरों में ज़िन्दगी 

उसे तोड़ देगी !!


मैंने देखी है वो सुबह 


जब जातियों में बंटे टुकड़े नहीं होंगे 

जब मज़हब में रंगे चोले नहीं होंगे 

नफरत मिटा के दिलों से जो प्यार के बोल देगी !!


मैंने देखी है वो सुबह 


जब मन में 

खुदा का खौफ नहीं होगा

जब सवाब पाने का लालच नहीं होगा 

उस दिन सच्ची इबादत होगी 


मैंने देखी है वो सुबह 


जब औरतों को 

परदों से रिहा किया जायेगा 

जब उन्हें

बराबरी का अधिकार दिया जायेगा 

उस दिन जशने आज़ादी होगी !!


Rate this content
Log in