मैं शायद नशे मे हूँ आज
मैं शायद नशे मे हूँ आज
कोई न आये यहाँ
मैं बहुत खुश हूँ आज
शायद नशे मे हूँ आज
जाम मैंने शायद पी ही लिया
आज किसी के बिन पिलाये ही
कोई न आये यहाँ
मैं बहुत खुश हूँ आज
आज फिर होंगे हम साथ
एक बार फिर खिलखिलायेंगे
एक बार फिर चहकेंगे
और उड़ेंगे दूर गगन में
उन्मुक्त होकर साथ एक बार फिर
डरती भी हूँ कहीं कोई
तोड़ न दे मेरे इस स्वप्न को
इसलिए लगाए रहती हूँ सीने से
कोई न आये यहाँ
मैं बहुत खुश हूँ आज
मेरा स्वप्न शायद
हकीकत में बदलते देखा है
मैंने आज
सोचती हूँ यह सच है
या यह भी एक स्वप्न है
विश्वास करना चाहती हूँ
पर फिर सोचने लगती हूँ
पर ये अश्क जो ढुलक
रहे हैं रफ्ता रफ्ता
मेरे कपोलों पर
इस स्वप्न को यथार्थ में बदल रहे हैं
मैं इतनी खुश हूँ
आखिर मेरा स्वप्न
सत्य हो ही गया
न टूटा यह सदा की तरह
एक शीशे की तरह
सच कोई न आये यहाँ
मैं बहुत खुश हूँ आज
मैं शायद नशे मे हूँ आज
