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Ram Chandar Azad

Others

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Ram Chandar Azad

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मैं नदी हूँ

मैं नदी हूँ

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मैं नदी हूँ

सदियों से बहती रही हूँ

मैं कभी रुकती नहीं हूँ

मैंने अपने रास्ते खुद ही बनाए

पथ में यदि अवरोध बनकर कोई आए

अपने ही बल से उसे मैंने हटाए

मैं सदा से मनचली हूँ


मैं नदी हूँ

सदियों से बहती रही हूँ

मैं कभी रुकती नहीं हूँ

गीत और संगीत धाराओं में मेरे

भक्ति की तहज़ीब धाराओं में मेरे

हैं अनेकों जीव धाराओं में मेरे

खेलते रहते हैं धाराओं में मेरे

मैं तो उनकी सहचरी हूँ


मैं नदी हूँ

सदियों से बहती रही हूँ

मैं कभी रुकती नहीं हूँ

टेढ़े -मेढ़े मेरे रास्ते

जिस पर चलती हँसते-हँसते

कभी कभी अल्हड़ लड़की सम,

बलखाती, लहराती हर दम

नहीं फ़िक्र है कहाँ है जाना

बस सीखा है बढ़ते जाना

गिरती हूँ पर गिरी नहीं हूँ


मैं नदी हूँ

सदियों से बहती रही हूँ

मैं कभी रुकती नहीं हूँ

पाप पुण्य मैं सबके धोती

ऊँच-नीच मैं सबकी होती

कभी -कभी पर मैं भी रोती

जब जब तुमसे गंदा होती

तुम डरते मैं डरी नहीं हूँ

मैं नदी हूँ

सदियों से बहती रही हूँ

मैं कभी रुकती नहीं हूँ



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