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ज्योति किरण

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ज्योति किरण

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मैं हूँ औरत

मैं हूँ औरत

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यही आलम तुम्हारा होता है। 

कहाँ हम बिन गुज़ारा होता है।।

मैं हूँ औरत ये नाते मुझसे हैं

सिर्फ़ इक दिन हमारा होता है..! 


मेरे हर रूप से जुड़े हो तुम।

जैसे चंदा से तारा होता है।।

बिखरती चांदनी मेरे दम से

तभी रौशन सितारा होता है।।


मैं हूँ औरत ये नाते मुझसे हैं

सिर्फ़ इक दिन हमारा होता है..! 


हमें हर दिन यूँ ही सम्मान मिले। 

जैसे इस दिन हमारा होता है।। 

अगर हर एक दिन हो महिला दिवस

कहाँ सबको गवारा होता है..? 


मैं हूँ औरत ये नाते मुझसे हैं

सिर्फ़ इक दिन हमारा होता है..!!

       


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