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Dr J P Baghel

Others

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Dr J P Baghel

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मैं देव लोक से आई थी

मैं देव लोक से आई थी

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मैं देव लोक से आई थी 

देवों ने ही अपनाई थी ।


इतिहास पुराना है मेरा 

मैं आई लगा लगा फेरा ।


देवों के पास रुकी आकर 

वे खुश थे मुझ को अपना कर ।


थी रूप गठन से रानी मैं 

हूं परदादी परनानी मैं ।


अब केवल उनकी दासी हूं 

मृतप्राय पड़ी अबला-सी हूं ।


अब कौन मिले मुझ दुर्बल से 

रोका, न दिया मिलने सबसे ।


जब से भारत में आई हूं 

जनता के लिए पराई हूं ।


मैं अब साक्षात निराशा हूं 

भारत की संस्कृत भाषा हूं ।


       


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