माँँ
माँँ
शिशु के मुख की प्रथम हँसी को माँ ने देखा
उसके रूदन के कारण को भी माँ ने जाना
प्रथम पग रखते ही माँ ने हाथ था थामा
तभी प्रथमतः मुन्ने के मुख से निकला भी तो था 'माँ'
माँ ने ही नहलाया माँ ने कपड़े पहनाए
माँ ने ही सँवारे केश माँ ही दूध पिलाए
और लेकर गोदी में माँ लोरी भी सुनाए
तब देख-देख शिशु को माँ फूली न समाए
प्रथम बार माँ ने ही उसको पढ़ना सिखाया
इसी तरह माँ ने ही आगे बढ़ना सिखाया
माँ ने ही प्रथमतः मुन्ने को स्कूल पहुँचाया
माँ ने ही मुख चूमा जब वह घर वापस आया
जब मुन्ने ने की ग़लती तो माँ ने डाँटा भी था
एक बार की चोरी तो मारा चाँटा भी था
फिर पास बुला कर मुन्ने को माँ ने समझाया
क्या गलत है और क्या सही इसका भेद बताया
कक्षा में जब मुन्ने ने अच्छे अंंक थे पाए
माँ ने दी खूब शाबाशी नए कपड़े सिलवाए
जीवन में माँ ने कितने ही पाठ पढ़ाए
मुन्ने को माँ एक अच्छा इंसान बनाए
जब मुन्ना हो जाए दुखी माँ भी हो जाती उदास
मुन्ने को आशीष है देती माँ की हर इक साँस
मुन्ना मेरा बने बड़ा हर माँ यह करती प्रयास
माँ से ही सम्भव होता है बच्चे का पूर्ण विकास