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Krishna Sinha

Others

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Krishna Sinha

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माँ

माँ

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कई कई बार पढ़ती हूं,   

पलटती हूं, पन्नों को,  

 

आंसूओ की बूंदो से, 

मिट गए से शब्दों को,  


ये माँ का आखरी ख़त, 

मेरे पास उनकी निशानी है,.......

   

उनकी ममता से लबरेज, 

मुझे बड़ी प्यारी ये, निशानी है... 


जब मै खुद को तन्हा सा,

महसूस करती हूं, 

माँ की चिठ्ठी ये ही हर बार पढ़ती हूं, 


जैसे माँ की गोद सा मुझको सुकून मिलता है, 

मै खुद में फिर से

नया एक जोश पाती हूं, 

नया एक जोश पाती हू!



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