माँ
माँ
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मैं क्या लिखूं तेरे बारे
तू मेरी सोच से परे हैं
जब तू आई थी, अपने आंगन बेटी बनकर
संग लाई थी खुशियाँ
बहन बनकर
दुलारा तूने अपने भाई को
एक बाप की शान है तू
अपने माँ के दिल की धड़कन है तू
और किसने कहा
बेटी पराया धन होती है
वह तो जहाँ भी जाती है
वहां खुशियाँ लाती है
अपने जीवन साथी के
हर कदम से कदम मिलाती है
जब बनती है एक बेटी, माँ
फिर घर ही जन्नत बन जाता है
