shivendra 'आकाश'
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कितनी गलतियों को मेरी उसने नकार दिया,
गिरते गिरते बचा हूँ मैं उसने सँवार दिया,
किसी ने भी नही किया मुझे इतना ज्यादा प्रेम,
एक मेरी माँ ने ही प्यार से ज्यादा मुझे प्यार दिया।।
कभी भूल न पाऊ...
थक गये है हों...
"दिल का आशिया...
छः मुक्तक :- ...
"फिर नया दीपक...
"साथी हमको धै...
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प्रीत की डोर
बिन मौसम बारि...
इबादत