माँ
माँ
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तुम ही मेरी ज्ञान का सागर
तू ही माँ शिक्षा का आधार,
हर अक्षर माँ तुमसे जाना
मैं अज्ञानी, मूढ़ थी मैं
अथाह सागर को तुमसे पहचाना,
मेरे सुख -दुःख की साथी
पथ प्रदर्शक तू ही माँ,
अच्छा करूं तो हौसला बढ़ाती
भटकूँ मैं तो राह दिखाती,
तेरे प्यार को थोड़ा समझूँ
तुमसी सीख न मुझमें माँ,
संस्कार मेरे तेरी परछाई
सारे जहाँ में ना तुम सा माँ।
