माँ
माँ
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यह गीत समर्पित है उसको
जिसके चरणों में जन्नत है
काशी है काबा है जो स्वयं
हर दुआ में जिसके मन्नत है।
हर पल खुशिया आँचल में लिए
बच्चों के लिए जो जीती है
मन्दिर मस्जिद और गुरुद्वारा
हर शब्द में जिसके इबादत है।
जीवन में अपने आस संजोये
रहती जो विश्वास संजोये
जब तक हैं माँ का आंचल
सर पे दुआएं सलामत है।
मातृ शक्ति मातृत्व संजोकर
जो उर में वात्सल्य लिये
सर्वस्व न्यौछावर कर देती
ऐसी जननी की इबादत है।
खुशियों की जहाँ ममतामयी जो
वात्सल्य भाव करुणा को लिए
करता है शिवम् शत शत तू नमन
दिल जिसके बस मोहब्बत है !
