STORYMIRROR

Gantantra Ojaswi

Others

3  

Gantantra Ojaswi

Others

मान

मान

1 min
28.9K


ओ अन्तस् के मान हठीले
विष-बेलों से हो जहरीले..
दुनिया भर के पाप भरे औ'
चेहरे से हो बड़े सजीले...
ओ अन्तस् के ...
 
दिग दिगन्त ने पूजा तुमको
मर्त्य लोक के भगवन् तुम हो
कोई कैसे आंख चुरा ले...
आंख झुकाने वाले तुम हो...
हिमपातों के बीच कहां से.
बचेे रह गये तुम रेतीले...
ओ अन्तस् के ...
 
प्यारे प्यारे बोल मधुर से,
कायल करते जगतीतल को
जिसपर पड़ती छाया तेरी
होश नहीं रहता फिर उसको
कब तक दोगे छलनायें ये...
कुछ तो सोचो छैल - छबीले...
ओ अन्तस् ...
 
कहीं प्रतिष्ठा बनती जाती,
कहीं दूरियां घटती जाती...
बिन प्रकाश के तम में छायास
देखो कैसे बढ़ती जाती।
देह बिना..कैसे कद काठी...
बढ़ा, चल दिये ओ गर्वीले...
ओ अन्तस् ...


Rate this content
Log in