माँ तेरे पावन चरणों में
माँ तेरे पावन चरणों में
माँ तेरी ममता तेरा आँचल,
से मुल्यवान है कुछ भी नहीं,
जो तुझसे है दुलार मिला,
उसका अनुमान है कुछ भी नहीं।
शब्द नही कोइ विश्वकोष में,
जिससे परिभाषित होती है,
माँ तेरे पावन चरणो में,
स्वर्ग सी अनुभूति होती है !
मूल्य कभी न चुक पाये,
ऐसा उपकार किया तुने,
मै निर्वात में शुन्य की भांति,
मुझको आकार दिया तुने।
तु आधार है सांसो की,
तुझसे जीवन शुरू होती है,
माँ तेरे पावन चरणो में,
स्वर्ग सी अनुभूति होती है !
तेरी अंगुली थाम के माँ,
कदमों को प्रथम प्रस्थान मिला,
मुझ नादान अज्ञानी को,
तुझसे ही पहला ज्ञान मिला।
तेरी बताइ हर एक बातें,
आज भी सार्थक होती है,
माँ तेरे पावन चरणो में,
स्वर्ग सी अनुभूति होती है !
मुझे खिलाने दौड़ तु पड़ती,
पुरे घर और आँगन में,
अमृत जैसा स्वाद है मिलता,
तेरे हाथों के व्यंजन में।
नींद भी तेरे थपकी की दासी,
लोरी बिन अखियाँ न सोती है,
माँ तेरे पावन चरणो में,
स्वर्ग सी अनुभूति होती है !
राजा सोना प्यारा बेटा,
प्यार भरा संबोधन में,
दुजा कोइ भी शब्द न प्यारा,
एक बेटे के जीवन में।
वाणी मेरी भी शुद्ध हो जाती,
जब तु उच्चारित होती है,
माँ तेरे पावन चरणो में,
स्वर्ग सी अनुभूति होती है !
रोम रोम है ऋणी तुम्हारा,
आशिष से तेरे पोषित मै,
तू देवी है करूणा की,
कि नेह से तेरे स्नेहित मैं।
तेरा हाथ जो सर पे हो तो,
जीत सुनिश्चित होती है,
माँ तेरे पावन चरणो में,
स्वर्ग सी अनुभूति होती है !
