Dr.Rashmi Khare"neer"
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ना बांध सके ना कह सके
सब होकर भी कुछ नहीं
अधूरा अहसास
सूर्य की गर्मी चाँद की शीतलता
मेरी हँसी मेरे दुख सब तुम
अधर सिले
निशब्द।
ना कोई कहीं
मजबुर
जिंदगी ना मिल...
हर रूप में ना...
वैधव्य
नारी हूं गर्व...
विरह वेदना
होली की प्रीत
आज मेरा देश
अनेकता में एक...