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Sandeep Kumar

Others

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Sandeep Kumar

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लोक व्यवहार नेग रिवाज

लोक व्यवहार नेग रिवाज

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अब,पहले सा कोई रात नहीं 

प्यार का कहीं कोई बात नहीं।।


जो एक पल साथ चल पाऊं

वैसा किसी में फरियाद नहीं।।


चारों तरफ है झगड़ा झंझट

मेल मिलाफ का बात नहीं।।


उलझे हैं सब एक दूसरे में

नैतिकता का कोई बात नहीं।।


अमन चैन चाहते हैं सब

अमन की कोई रात नहीं।।


पीठ पीछे करते हैं वार 

सामने तो औकात नहीं।।


जो बोलना हो खुल कर बोलो

ऐसा तो कोई रिवाज नहीं।।


नेकी कर कर दरिया में डूबे

झूठ की ऐसी औकात नहीं।।


सच बोल कर देखो यारो

झूठ का कोई लाभ नहीं।।



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