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Nirupa Kumari

Others

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Nirupa Kumari

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लम्हें ज़िन्दगी के

लम्हें ज़िन्दगी के

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हंसाते , रुलाते लम्हें ज़िन्दगी के..

बहुत याद हैं आते वो बीते लम्हें ज़िन्दगी के,

वो बचपन का आंगन था

कितना सुकून भरा वो

मां बाप का दामन था

सर्दियों में जहां गुड सी मिठास थी

छुट्टियों वाली वो गर्मी भी बड़ी ही ख़ास थी

बारिश में तैरती थीं जहां कागज़ की कश्तियां

भाई बहनों के साथ की थीं हमनें अनगिनत मस्तियां

लगता है जैसे थीं वो कोई परियों की दुनियां

हर खुशी पे लिखा जहां अपना ही नाम था

वो बचपन कितना ख़ास था

खुशियों की पाठशाला थी

दोस्तों का साथ था

सपनों की उड़ान थी

मुट्ठी में पूरा आसमान था

कुछ कर गुरजने का जज़्बा

आंखों में था बसा उम्मीदों का पहरा

वो सादगी से भरा जीवन का चेहरा

नाता है उन यादों से हमारा बड़ा ही गहरा

ख़त्म नहीं होंगी वो बचपन की बातें

हम जितना भी कह दें

वो अनगिनत अनमोल यादों के गहने

ज़िन्दगी के प्यारे प्यारे से वो लम्हें।



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