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Neelam Chawla

Others

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Neelam Chawla

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लिखने वाले लोग

लिखने वाले लोग

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जो लिखने वाले लोग हैं 

वो वास्तव में भागती हुई

ट्रैन को पकड़ते हैं

तुम समझते हो कविता लिख

रहे है या किस्सों की 

बकलोल कर रहे हैं

तो कुछ मत समझना ऐसा


उनके झूले में वक्त की

आवाज भरी है 

जिनके रंग हरे भूरे है

उनके पास चुभते 

हुए कांटे हैं जो हथेली ही नहीं

दिल भी चीर देते हैं


नुकीली पैनी किले

छुपा रखी है अन्दर 

जिससे आंखों में आसूं आ जाए

ऐसी बयानबाजी है किस्सो की

कलेजा टूटकर रोने लगे


चलती , दौड़ती ट्रेन है 

इनका दिमाग 

अगर ये खजाने नहीं उतारेंगे

तो खुद को जला देंगे 

उस धधकते कोयले की

तरह जो इजंन चलाता था कभी



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