लहू का उबाल तो हमारा खानदानी है
लहू का उबाल तो हमारा खानदानी है
1 min
212
लहू का उबाल तो हमारा खानदानी है,
फ़िर भी सोच तो हमारी भी रूहानी है।
ख़ुद को मजबूत बनाना कोई ख़ता नहीं,
हमे कमजोर समझना तुम्हारी नादानी है।
लफ़्ज़ ग़र ख़ामोश है तो ये मत समझना,
हमारी दहाड़ में दम आज भी तूफ़ानी है।
मुल्क़ की औरतों भले समझो अबला तुम,
वक़्त आने पर हर अबला एक मर्दानी है।
ज़माना चाहे कितनी नफ़रत करे फ़क़ीरा से,
ये दुनिया तो हमारे पागलपन की दीवानी है।
