तुम्हारी यादें
तुम्हारी यादें
हसीन ख़्वाबों में रोज़ तुमसे होती मुलाक़ात है,
ख़्वाबों में सताना भी तुम्हारी कोई ख़ुराफ़ात है।
तेरे होने से ही तो था जीवन मेरा जगमग सारा,
मुझको रातभर यूँ रुलाती वो तेरी सारी बात है।
अब मेरे दिल को तुमसे है बस इतनी सी तमन्ना,
तुम्हारा और मेरा रिश्ता इनाद नहीं इल्तिफ़ात है।
मुश्किल वक़्त भी मुझको अलविदा नहीं कहता,
अब तुम्हारे बगैर तो मेरा बद से बदतर हालात है।
तुम्हारी मोहब्बत के वादों ने सहारा दिया है मुझको,
तुम्हारी यादें अब "फ़क़ीरा" की शरीक-ए-हयात है।
ख़ुराफ़ात - शरारत, इनाद - दुश्मनी ,इल्तिफ़ात - दोस्ती,
मित्रता, बद से बदतर - बहुत खराब, शरीक-ए-हयात - जीवनसाथी
