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Nalanda Satish

Others

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Nalanda Satish

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क्योंकि लड़के रोते नहीं

क्योंकि लड़के रोते नहीं

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भावनाएं चाहे कितनी

उफान पर हो

दिल मे दर्द की लहरे

छलाँगे मार रही हो 

हृदय बैठा जा रहा हो

जिन्दगी हाथ से छूटती

जा रही हो 

फिर भी लड़के रोते नहीं


समाज ने बनाये नियम क्रुर

लड़का लड़की में किया

भेदाभेद भरपूर

लगायी रोने पर भी पाबंदी

कहलायी रोना है कमज़ोरी 

सुखते है आँखो में आँसू

पर कोरों से बिखरते नहीं

क्योंकि लड़के रोते नहीं


पत्थर दिल पर रखकर 

ग़म को पीते हैं 

अंधेरी कोठरी में जाकर 

सिसकते है

किसको बताये दुखड़ा अपना

कोई भी दिल बहलाता नहीं 

क्योंकि लड़के रोते नहीं


लड़का हो या लड़की

तन मन मुलाक़ातें है एक जैसा

सुख दुख संवेदनाएं है एक जैसी

सभ्यताएं मान्यताएं हैं एक जैसी

बहती ग़म की धाराएं एक जैसी

यौवन की प्रताड़नाये एक जैसी

राज की बातें है एक जैसी


फिर भी रो लेती है लड़कियाँ 

जी भरकर और हों जाती है हल्की

फिर से जीवन का बोझ सहने के लिए 

लड़के कमनसीब होते हैं 

होते हैं ऐसे संस्कार मर्दानगी के 

चाहकर भी नहीं आ पाते बाहर 

भंवर से

रोना चाहते हैं जी भरके 

सुजाना चाहते है आँखें 

छाती पिट पिटकर मन का गुबार  

निकालना चाहते हैं 

पर कर नही सकते 

क्योंकि लड़के रो नहीं सकते



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