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KAVITA YADAV

Others

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KAVITA YADAV

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क्या यही प्यार है

क्या यही प्यार है

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दिल में इंतजार, होंठो पर मुस्कान

ना दर्द का एहसास, ना कोई तकरार

अश्क को भुलाना अपनों को मनाना

क्या यही प्यार है


समझ के गुलिस्ताँ को

फूलों से परखना

आसमा में तारों को गिनना

ओर ना आगे कुछ कहना सहना

क्या यही प्यार है


माता- पिता का करना सम्मान

पर उसमे भी लाना कोई अरमान

बदले के बदले कुछ पाने की आस

कितना बदल सा गया अब इंसान

क्या यही प्यार है


हर वक्त बस भागम भाग लगी है।

जिंदगी जैसे किसी की बलि है

हर कदम पे बस रहती है थकान

क्या यही प्यार है


आहिस्ता से चलके बेचना अपना ईमान

पैसों ओर धन का करना गुमान

बड़ा बंगला हो या कोई मकान

मन मे फिर आँसुओं का शैतान

क्या यही प्यार है



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