कविता
कविता
1 min
224
दोस्तों जमाना वाकई
बहुत बदल गया है
पहले
शुभचिंतक को
समाज मे ,परिवार में
बहुत आदर और सम्मान
मिलता था
किन्तु समय के बदलते चक्र
और
नैतिक मूल्यों के
गिराहट के इस दौर में
परिभाषा भी बदल गई है
अब शुभचिंतक उसे कहते हैं
जो वास्तव में हमारे
शुभ पर चिंतित होने लगे।
