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Children Stories

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कुर्सी आंटी

कुर्सी आंटी

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कुर्सी आंटी कुर्सी आंटी 

सबको बैठाती चाहे राजू हो या बंटी

कभी कभी चर चर करती

जब बैठने वाला हो शरारती

कभी फट से टूट जाती

जब अपने ऊपर कुछ भरी सा पाती

कभी इधर तो कभी उधर हो जाती

जब बच्चों को खेलने में इस्तेमाल में आती


सुबह-सुबह जल्दी उठती 

ताकी दादाजी ले सके चाय की चुसकी

फटाफ़ट कमर सीधी कर देती

जब दादी कुर्सी पर बैठकर उठती

सबको संभाल लेती

चाहे सीधे बैठो या मारो पालती

कभी भेद भाव नहीं करती 

चाहे कुरान पढ़ो या उतारो आरती

सारा दिन सबको एक जगह बैठकर

देखती रहती

मन ही मन मुस्कुराती और हँसती

कुर्सी आंटी कुर्सी आंटी 

सबको बैठाती चाहे राजू हो या बंटी


 


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