कुछ सवालात खुद से
कुछ सवालात खुद से
किये थे कुछ सवालात खुद से,
जानता हूँ क्या मैं खुद को ?
जवाब तो कुछ ना मिला,
पर पता चला ढूंढना पड़े गा खुद को ।
लोग खुद को किताबो में,
किसी और की कहानियों में ढूंढ़ते हैं,
किसी और से प्रेरित होके,
अपनी कहानियां गढ़ते हैं
मै नहीं कह रहा कि ये गलत है,
किसी और में खुद को ढूंढना सही है,
पर कब तक ये यूहीं चलता रहेगा,
अपने वजूद को किसी और में ढूंढ़ना कब तक चलता रहे गा ।
रुक ज़रा एक गहरी साँस ले,
दूसरे के बदले पहले खुद में झांक ले,
शायद ना मिल पाए तू खुद को,
पर खुद को तलाश करने की शुरुआत तो कर ले ।
कर प्रेरित खुद को खुद से ही,
इस बात पे तू ध्यान दे,
मत हो शिकार तू भेड़-चाल का,
इस बात की तू गांठ बांध ले ।
यकीं रख खुद पे होगा सब सही,
करते रह प्रयास तू मरता ना कभी,
एक वक़्त आएगा ज़रूर जब तू खुद को पा ले गा,
तब तक जीते रह ज़िन्दगी तू अमर ही सही ।
अंततः बन मिसाल खुद के लिए,
मंज़िल तेरी दूर नहीं,
तू खुद की प्रेरणा बन,
किसी और की तुझे ज़रूरत नहीं ।
