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KAVITA YADAV

Others

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KAVITA YADAV

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कठपुतलियां

कठपुतलियां

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अधूरी सी जिन्दगी है।इसे पूरा कर लो

कठपुतली से है, हम यहाँ ! थोड़ा सा उलझ लो...


ना रहे कोई आस, उसे पूरा करलो!

नारी-नारी कह कर, अपने को ना

तुम अधूरा कर लो...


जमाना बदल गया है, सपना अपना खुद

पूरा कर लो....

कठपुतली से है, हम यहां थोड़ा तुम भी जी लो।


अब ना कोई सती है, ना कोई अबला।

अपने कहने का खुद, जिम्मा लेलो!


कमजोर बनकर, आसुओँ को, आंखों...

में भर कर, नादानियां थोड़ा कम कर दो।


कठपुतलियां का जीवन जीना, अब बन्द कर दो...

अपने पँखो को फैलाकर उड़ने का चलन कर दो।



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