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Hemant Kumar Saxena

Others

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Hemant Kumar Saxena

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कठपुतली

कठपुतली

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मित्र हो या शत्रु

कभी कटु वचन ना बोलिये,

जो बने किसी का कठपुतली,

उससे मन को डोलिये,


ये लोग राम की मर्यादा को,

कभी वचन से ना तोलते,

सदा रहे अनुयायी जिसके,

घी उसकी गागर का घोलते।


ये लोग हैं वो जो किसी से,

सीधे मुँह ना बोलते,

खुद की चादर फटी हुई,

दूजे की चादर ओढ़ते।


शत्रु भी काम आये समय पर

ये किसी के काम ना आते हैं,

इसीलिए ये दो मुँह के,

बिषधारी सर्प कहलाते हैं।


नाचते दूसरे के इसारों पर,

घर को खोखला कर लेते

कहे जो इनसे इनका चहेता,

अपने ही खून से गागर भर लेते।


हर बात को मीठी बोलकर

ये आस्तीन का साँप बन लेते,

हर एक सीधे लट्टू को,

अपनी जंजीर में जकड़ लेते।


मामा शकुनी इन्हें कहूँ या

कहूँ दुर्योधन विख्यात है,

हुआ अन्त ऐसे व्यक्ति का सदा,

महाभारत साक्षात है।


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