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Sunita Nandwani

Others

5.0  

Sunita Nandwani

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कृष्णा

कृष्णा

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कृष्ण तेरे प्रेम में 

पहुँची मैं उस अन्तराल में,

कल्पना के पंख लगा 

उड़ी मैं आसमान में।


बादलों की पालकी

और अंबर मेरी बाहों में,

आनंद ही आनंद की 

अनुभूति है हवाओं में।


 धरा मेरे पांव तले 

 और चांद तारें​ साथ है,  

 रोम रोम है आत्मविभोर

 एक तेरे ही अहसास से।

 

कोई अल्प, कल्प,

विकल्प नहीं

एक तेरे नाम से,

कृष्ण तेरे प्रेम में 

पहुँची मैं अन्तराल में।


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