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Sunita Nandwani

Others

4.7  

Sunita Nandwani

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माँ

माँ

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अपनी माँ का हिस्सा हूं मैं 

अपनी माँ का किस्सा हूं मैं 

अपनी माँ का अक्स ही तो हूं मैं।


स्नेह ने उनकी मेरी काया बनाई     

उंगली ने उनकी मेरी डगर बताई,

महत्वाकांक्षा ने उनकी 

मेरी मंज़िल दिखाई।


प्रेरणा प्यार ने उनके 

मेरा जीवन संवारा।

जीने का सलीका 

उन्हीं ने तो मुझे समझाया।


हौसले में आग भरी 

मनोबल में जान भरी।


ज्ञान की दी रौशनी

संस्कारों को दी दीप्ति,

हर डर में हाथ थामा मेरा।


हो गई हूं बड़ी मैं 

पर उनके लिए ,

आज भी बच्ची हूं मैं।

आज भी हर मुस्कुराहट

पर मेरी खिलखिलाती है वो 

और जरा से तनाव से मेरे 

उदास होती है वो।


क्योंकि अपनी माँ का हिस्सा हूं मैं

अपनी माँ का अक्स ही तो हूं मैं।


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