" कृष्ण तुम अंनत हो "
" कृष्ण तुम अंनत हो "
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कृष्ण तुम खरे हो सबके हृदय मेंअंदर तक भरे हो ,
सारे अवतारों में अनूठे अवतार हो
सारी लीलाओं का तुम सार हो ,
सारी विधियों का विधान हो
समस्त विपदाओं का समाधान हो ,
सभी दुष्टों का विनाश हो, बुराइयों का नाश हो ,
धर्म की आस हो दसा अवतारों में खास हो ,
द्रौपदी की लाज हो ,बिगड़ों का काज हो ,
पांडवों की आन हो ,भक्तों का मान हो ,
सबसे बड़े संत हो आदि ना अंत हो
कृष्ण तुम अंनत हो कृष्ण तुम अंनत हो ।
