कर्फ्यू
कर्फ्यू
फासलों की घड़ी है।
कुछ जरूरी फैसलों पर खड़ी है।
तू अभी भी उतना ही हठी है।
यह विनाश की घड़ी है।
अभी तो बनने वाली एक लड़ी है।
फिर भी सवालों की झड़ी है।
जिंदगी पिंजरे में आ खड़ी है।
खिड़की से झाँक प्रकृति
खूबसूरत बन पड़ी है।
पानी पर बतखें लहरें बना रही हैं।
सूनी पगडंडियों पर घोड़ों की
पदचाप सुनने में आ रही है।
बेख़ौफ़ उड़ाने नभगान कर रही हैं।
इठलाती डालियों से पुरवाई चल रही है।
स्वतंत्रता का दुरुपयोग किया।
वजूद पर सवाल उठने लगे।
सांप सीढ़ी के इस खेल में
सीधे नीचे फिसलने लगे।
तबाही का दलदल।
जिंदगी है या थी के बीच झूल रही है ।
चिड़िया घर और पिंजरे
बनाने की शौकीन।
आज 21 दिन के कर्फ्यू में ,
पागल हो जाने के चित्रमुद्रण
साझा कर रही है।