"कर्म"
"कर्म"
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चांद और तारे ,
साथ-साथ रहते हैं ।
अपनी-अपनी परिधि में,
सदा मग्न रहते हैं ।
कभी अतिक्रमण नहीं करते,
लड़ते न झगड़ते हैं।
दोनों ही कर्मशील,
सुंदरता गढ़ते हैं।
चंदा रोशनी देकर सबको,
अमृत बरसाता है।
तारा भी घोर रजनी में,
सुंदरता बढ़ाता है।।
