कोरोना कालीन नवसंवत्सर
कोरोना कालीन नवसंवत्सर
हर रोग से मुक्ति दिला जाने को,
एक नया अवसर है आया,
देखो फ़िर हंसता खेलता बनाने को,
नव संवत्सर है आया ।
फ़िर वहीं खुशियों का अंबार होगा
मिठाई, चकली, हलुए, पेठों का भंडार होगा
इस बार नववर्ष अकेला नहीं मनाना पड़ेगा मुझको
उत्सव मनाने को मेरे पास अपना परिवार होगा ;
फ़िर अपनो में प्रेम जोग लगाने को इक अवसर है आया,
देखो फ़िर हमे हंसता खेलता सुखमय बनाने को,
नव संवत्सर है आया ।
हां , माना गले मिलने को मित्र मेरे घर नहीं आ पाएंगे,
मेरे साथ तफरी करने को भी बुला नहीं पाएंगे,
ना इस उत्सव को मनाने को हम सभी एकत्रित हो पाएंगे,
पर घर बैठ देशभक्ति करने का
कैसा अज़ीम ओ शान अवसर है आया,
देखो फ़िर हमे हंसता खेलता निरोगी बनाने को,
नव संवत्सर है आया ।
मिठाई होगी, खुशियां होगी,
उत्सव होगा, मस्तियां होगी,
हां ,पटाखों का शोर ना होगा,
तब फब्तियां भी होगी,
बिन शोर, बिन धुआ, बिन लक्ष्मी विनाश के भी
परिवार संग बैठ इस मंगलमय दिन को
यादगार बनाने का अवसर है आया,
देखो परिवार संग एकत्रित हो बिन प्रदूषण मनाने को,
नव संवत्सर है आया ।
