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Vijay Kumar parashar "साखी"

Children Stories Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Children Stories Inspirational

कोमलता

कोमलता

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एक बार की बात है एक हथोड़े के पास एक सोने की अंगूठी रखी होती है। उन दोनो का मालिक श्याम सुथार था। उसकी बेटी की आनेवाली 5 तारीख को सगाई तय हुई थी। ये अंगूठी उसी की थी। वो उसे देख रहा था की अंगूठी कैसी है, इतने में उसकी पत्नी निर्मला उसे आवाज लगाती है।

वो अंगूठी बिना डिब्बे में रखे ही ऐसे ही रखकर चला जाता है। थोड़ी देर बाद हथौड़ा, अंगूठी से बोलता है, बहना सब तुझसे प्यार करते है, मुझसे कोई प्यार नहीं करता है। जबकि में तेरी तुलना में बहुत बड़ा एवं ताक़तवर हूं। इतने में अंगूठी बोलती है, नहीं हथौड़े भाई ऐसी कोई बात नहीं है। आप मेरे बडे हो, सम्मानिय हो। में तो आपकी बहुत इज्जत करती हूं। इतने में हथौड़ा बोलता है, तू तो इज्जत करती है। पर ये ज़मानेवाले मेरी इज्जत क्यों कम करते है। तू इतनी छोटी है, तो भी तेरी कीमत मुझसे कहीं ज़्यादा है। इतने में अंगूठी बोलती है, ऐसी बात नहीं है, भैया। इस ज़माने में कोई चीज व्यर्थ नहीं है, यहां पर सबकी अपनी-अपनी कीमत है। किसी की कम कीमत है तो किसी की कीमत ज़्यादा है। कीमत या मूल्य में अंतर होने का कारण वस्तुओं के पृथक-पृथक गुण है। बुरा मत मानना भाई आप बहुत कठोर हो, किसी वस्तु को तोड़ते हो और में आपकी तुलना बहुत कोमल और नाजुक हूं। मेरा कार्य लोगो को सुंदर बनाना है। मेरा स्वभाव सौम्य और सरल है। यही वजह है की लोग मुझे आपकी तुलना में ज्यादा चाहते है और मेरी कीमत भी आपकी तुलना में ज्यादा है।

यही चीज हथोड़े भाई इस दुनिया पर भी लागू होती है। जो लोग कोमल और सौम्य स्वभाव के होते है, उन्हें ये दुनिया ज्यादा पसंद करती है, कठोर स्वभाववालो को ये दुनिया नकार देती है। कठोर स्वभाववाले लोग अलग-थलग पड़े रहते है, कोई उनकी क़द्र नहीं करता है, जबकि कोमल स्वभाववाले लोगो को ये माथे पर बिठाकर रखती है। हथौड़े को अब ये बात समझ आ गई थी की उसकी क़ीमत, अंगूठी से क्यों कम है।


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