कन्यादान
कन्यादान
1 min
222
धीरे-धीरे पूरी होती गई,
रस्मो की बारी।
आ ही गई जय माल के बाद,
अब कन्यादान की पारी।
बाबुल ने मेरे दीना है,
हाथ मेरा तेरे हाथ,
पूरी वफा से निभाओगे
तुम इस विश्वास के साथ।
सब रस्मों में एक रस्म है
कन्या का ये दान,
हर बेटी के पिता के दिल में
रहता है यह आरमान
कब बेटी डोली में बैठे,
पूरे हो अरमान।
दिल का टुकड़ा सौंप है देते,
हाथ एक अंजान।
उस भरोसे की लाज अब
हाथों में तुम्हारी है
कन्या का लिया है दान
पूरी अब जिम्मेदारी है
पूरी तरह निभाओगे मन में विश्वास,
इसी सहारे के संग-संग में
आऊंगी तेरे साथ।
आऊंगी तेरे साथ।
