कन्हैया
कन्हैया
मैंया यशोदा, मैं तेरा लल्ला
तू मेरी मैया।
काहे सुन रही शिकायत
गोप ,गोपियाँ ,गोपाल की।
जो तू देती माखन ,रोटी वो मैं खाऊँ
मैं ना सताता इन सब को
ना मैं फोड़ू मटकी माखन की
ना छुप -छुप चुराऊँ दही माखन
ये सब झूठे।
संग मिल मुझे सताये
बार -बार मुझे नचाये
माखन मेरे मुख पर लिपटाये
करे हंसी ठिठोली।
दाऊ, ग्वाल सब बैरी मेरे
सब मिल तुझे बहकावे
तू है बड़ी भोली मैया।
तू आ जाती बातों में इनकी।
कान पकड़ मुझे काहे बाँधा
रस्सी है बड़ी भारी
मटक मटक कर कर रहे
भोली -भोली बात।
देख लल्ला की बात पर
हुई यशोदा निहाल।
खोल सभी बंधन लल्ला मैं तेरे
करना अब ना गलती कभी।
मंद मंद मुस्कुरा रहे
देखो जशोदा लाल।
मोर पंख वाले तेरी
लीला बड़ी अपरंपार
करुँ तुझे बार बार प्रणाम।
