कलम
कलम
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तलवार की धार में,
खून के कुछ छीटें
सूखे हुए
एक म्यान में कैद
हँसते है
बड़ी निर्लजता से
उस तीखी धार पर
जिसने उनको जन्म दिया
क्यूंकि उससे भी तेज,
धारदार,
असरदार चोट करने वाली
खुले आम घूमती है,
सस्ते में बिकती है,
और वह कलम
बड़ी ही शांत दिखती है।
