कलम और खयाल
कलम और खयाल
1 min
142
कलम और खयाल का
क्या खूब है नाता
एक दूजे के बिना
जो अधूरा हो जाता
जो कलम शब्दों की मालिका
तो खयाल शब्दों का राजा है
सोचो ज़रा ये मनचला राजा
कैसे इस सटिक मालिका
को बहलता है
जो चाहे वो ही
इससे लिखवाता है
देखो तो लगता है की
ये अपनी तानाशाही चलाता है
लेकिन जो पूछा कलम से तो बोली
यही तो प्यार में समर्पण कहलाता है
एक ने कही दूजे ने मानी का
हमारा प्रेम उच्च उधारहण दर्शाता है।
