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कितने दिन तरसे।
कितने दिन तरसे।
अच्युतं केशवं
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Originality :
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Language :
2.0★
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Cover design :
2.0★
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अच्युतं केशवं
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कितने दिन तरसे।
कितने दिन तरसे।
कितने दिन तरसे,
तब सावन बरसे।
चींटे नभ नाच रहे,
उग आये पर से।
होठों पर मुस्काने,
दिल में है फरसे।
राम-सिया अब भी हैं,
निर्वासित घर से।
प्यासे ही लौटे हम,
सागर के दर से।
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