किताबों की कहानियाँ
किताबों की कहानियाँ
किताबों की कहानियाँ
जुबान पे आती हैं,
तेरी याद दिलाती हैं,
फिर नगमा नगमा सुनाती हैं...
भोर के गीत,
शाम की गजलें,
दुआ बन जाती हैं...
किताबों की कहानियाँ,
जब जुबान पे आती हैं...
इठलाती हैं, बलखाती हैं,
अपनी शोखियों से,
मदहोश कर जाती हैं।
किताबों की कहानियाँ,
जब जुबान पे आती हैं...
दरख्तों के पत्तों से,
तेज हवा बह जाती है,
तेरी ज़ुल्फों की बूंदें,
ओस बनकर,
दिल को सुकून
दे जाती हैं,
किताबों की कहानियाँ,
जब जुबान पे आती हैं...
कहानी ही सही,
तेरी याद,
हकीकत से जुदा,
नहीं कर पाती हैं,
किताबों की कहानियाँ,
जब जुबान पे आती हैं
