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Kusum Lakhera

Others

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Kusum Lakhera

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किताबें

किताबें

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किताबें सिर्फ ज़िल्द पे लिपटी 

कागज़ और कलम की कहानी नहीं होतीं

वह बहुत कुछ होती हैंं! 

युगोयुगों से ज्ञान की गंगा से जिज्ञासुओं की

प्यास को अमृत प्रदान करती हैंं

राह से भटके हुओं को राह दिखाती हैंं

और जो एकाकी सफर पे निकला हो

उसकी हमसफ़र बन जाती हैं

वह सिर्फ़ अक्षरों का पुलिन्दा नहीं हैं 

वह तो साक्षरों के लिए वरदान होती हैं

वह नीरसता में सरसता का करती संचार 

वह सावन भादो सी करती आनन्द की बौछार

वह एक शरीर भर नहीं 

वह सजीव आत्मतत्व होती हैं

जो हमारे अंतर्मन में आदर्श और सिद्धान्तों 

के बीजों को बोती हैं 

वह कल्पना के नए आयाम देती हैं

वह रचना के नए स्वप्न बुनती हैं

वह निर्माण के लिए साधन बताती हैं

वह अविष्कार के लिए साधन जुटाती हैं

वह सृजन के लिए नित नवीन जानकारी 

बताती हैं 

वह रंगों की बौछार से खुशी बिखेरती हैं

वह जो बीत गया उसे फिर सामने लाती हैं 

वह जो होने वाला हैं उससे रूबरू करवाती हैं

सच किताबें सिर्फ़ किताबें नहीं 

सिर्फ कुछ पन्ने नहीं

कुछ अल्फ़ाज नहीं बहुत कुछ होती हैंं

एक लेखक का परिश्रम भर नहीं

उसके जीवन का अनुभव 

उसकी रचना प्रक्रिया

उसका भोगा हुआ सत्य होती हैंं 

कभी पाठक संग हंसती हैंं तो कभी रोती हैंं 

सच, किताबें सिर्फ किताबे नहीं बहुत कुछ होती हैंं!



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