STORYMIRROR

Rajesh Gupta

Others

3  

Rajesh Gupta

Others

किस छोर पे मंज़िल है

किस छोर पे मंज़िल है

1 min
28.7K


रोना भी नहीं मुमक़िन, हँसना भी मुश्किल है,

अजीब सी बेचैनी, किस कश्मक़श में दिल है,

अब क्या करें ऐसे में, कोई मुझको ये बता दे,

किस ओर के रस्ते हैं, किस छोर पे मंज़िल है।


ना करने को हैं बातें, ना सुनने को क़िस्से हैं,

जो टूट रहा भीतर, किस दिल के वो हिस्से हैं,

क्या खो दिया है मैंने, क्या हो गया हासिल है,

किस ओर के रस्ते हैं, किस छोर पे मंज़िल है।


ये शहर इसकी दुनिया, सब हुए अजनबी से,

हर तरफ़ है सन्नाटा, कोई आया नहीं कहीं से,

ना बसा ये मेरी ख़ातिर, ना मेरे ही क़ाबिल है,

किस ओर के रस्ते हैं, किस छोर पे मंज़िल है।


तूफ़ान नहीं थमता, जाने आज क्या होना है,

जिस चीज़ का है डर, मिट्टी का खिलौना है,

मिल जाएगा पानी में, मौजों में ही साहिल है,

किस ओर के रस्ते हैं, किस छोर पे मंज़िल है।


Rate this content
Log in