ख़्याल ही ख़्याल में
ख़्याल ही ख़्याल में
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अजनबी कोई, ख़यालो में आता है
ख़्याल ही ख़्याल में, ख़्याल हो जाता है,
रातों में नींद न आती, न मिलता क़रार
दिल रहता जाने, किसके लिए बेक़रार,
मीठा सा कोई, दर्द दे जाता है
ख़्याल ही ख़्याल............
इंतज़ार है मुझे किसी साथी का
एतबार है मुझे भी साक़ी का,
बिन पिलाए ही, नशा दे जाता है
ख़्याल ही ख़्याल...................
आज, अरमान मचलने लगे हैं मेरे
कब तक रहेंगे, जीवन में यूं अंधेरे,
कैसा ग़म मुझे तड़पा जाता है,
ख़्याल ही ख़्याल में ख़्याल हो जाता है ।।