खुशियाँ
खुशियाँ
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कच्ची पगडंडियों ने मजबूत बनाया है।
पैरों के छालों ने चलना सिखाया है।
जिंदगी ने कितना कुछ दिखाया है।
तप कर ही तो सोने ने मान बढ़ाया है।
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हाथ में स्लेट ली नहीं।
पन्नों से रही अनजान।
स्याही फिर भी बह गई।
गढ़ने नई पहचान।
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काले रंग सी चुभती थी जो।
सुनहरी बन अब छाई है।
उजली भोर का सूरज बन।
नया संदेश लाई है।
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कड़वी तीखी बन जीवन में।
कितने सबक सिखाई है।
बेखटके ही आज तभी तो।
ढेरों खुशियां आई है।