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Chandresh Kumar Chhatlani

Others

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Chandresh Kumar Chhatlani

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खुदको खटखटाता

खुदको खटखटाता

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वो मेरे घर का

इक दरवाज़ा

मेरे ही घर को

पुकार के

कहता है कि

तुम खुश रहना


मैं चुप हूँ

खामोश रहता हूँ

वो मानता नहीं

खुद को हिस्सा उसका

जिस घर से जुड़ा है


काश जानता होता

कि मेरे घर को

मिलने वाली

हर दुआ में

वो भी शामिल है


तो वो दरवाज़ा

खुद को कभी न खटखटाता!


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