खुद से लड़ाई
खुद से लड़ाई
आज फ़िर जिंदगी के दोराहे पर खड़ा हूं
ये करूं या वो करूँ इस उलझन में पड़ा हूं।
गलत औऱ सही में एक कदम का फ़ासला है
गलतियों से अब सीखने का वक्त आ पड़ा है।
एक तरफ़ लग रहा दिल को खेल सुहाना है
दूसरी तरफ शूलों पर चलने को ये दिल अड़ा है।
बहुत भाग लिया है जिंदगी तुझसे बहाने कर
अब शबनम से लड़ने फ़िर से बुझे हुए शोले को जगाना पड़ा है।
एक तरफ़ मेहनत की थोड़ी कमाईदूसरी तरफ़ बेईमानी की अपार कमाई,
सच्चाई पर चलने को अब जिंदा ही मरना पड़ा है
दिल को खेल खेल में बहुत गन्दा कर लिया है।
अब दिल की सफाई के लिए हमें साफ होना पड़ा है
दिल का भटकना आम है सुबह से रोज होती शाम है।
अब आलस्य त्यागकर लक्ष्य पाने को दिल को कड़ा करना पड़ा है
अब कठोर निर्णय लेने को हमे हंसना पड़ा है।
जगत के दरिया में बहुत खोये है बहुत रात और दिन हम सोए हैं
अब खुद को जगाने के लिये हमे बंदूक से खुद को उड़ाना पड़ा है।
अब हमें ख़ुदा को पाने के लिये खुद से बेहद लड़ना पड़ा है
अब हमें कठोर निर्णय लेना पड़ा है।
