कहीं बूढ़ा, कहीं बच्चा हूँ मैं
कहीं बूढ़ा, कहीं बच्चा हूँ मैं
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कहीं बूढ़ा, कहीं बच्चा हूँ मैं
नहीं लगता, मगर अच्छा हूँ मैं
कभी मैं सोचता हूँ, क्या हूँ मैं
कहानी हूँ, या फिर किस्सा हूँ मैं
हवा टकरा, ज़रा धीरे मुझसे
बना मिट्टी से हूँ, कच्चा हूँ मैं
नहीं क़ुर्बत ख़तम होने दूँगा
सनम हर बात का पक्का हूँ मैं
कहीं गौहर, कहीं हीरा हूँ मैं
कहीं ज़र्रों से भी सस्ता हूँ मैं
मिरी बातें लगी कड़वी सबको
चलो फिर ठीक है, सच्चा हूँ मैं