Ruchi Madan

Others

5.0  

Ruchi Madan

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कही मेरे सपने खो जाते

कही मेरे सपने खो जाते

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सपने इन आँखों ने देख लिये है

ख़्वाबों में ही जीने के तरीके सीख लिये है

अपनी ही पसंद का है एक महल बनाया

उसको बड़े ही चाव से मैंने सजाया

हर चीज़ को मैंने उसमे रंग दिया है


अपना हर शौक पूरा कर लिया है

हर चीज़ को मैं रोज़ ही हूँ नया सजाता

सारी रात उसमे ही हूँ खोया रहता

दिन का उजाले मुझे अब कम ही है भाते

क्योंकि उसमे है मेरे सपने खो जाते



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