खिड़की
खिड़की
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मेरे घर की है एक खिड़की
मेरी आंखों की वही है सहेली
मेरी नज़र में जो है दिखाती
वही है मेरी बाहरी दुनिया लगी
दूर में होते पहाड़, पहाड़ के पीछे सूरज,
एक सड़क पर घूम रहे लोग,
इधर उधर पेड़ और पक्षी,
बिल्ली, कुत्ता भी अक्सर पड़े नज़र में ।
निःशब्द होकर सभी दिखा देती है खिड़की
वही है मेरी आंखों की सहेली।