जय नागरी लिपि !
जय नागरी लिपि !
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भिन्न भिन्न क्षेत्रों में बहती नदियां
पातीं हैं एकता समुद्रों में,
भिन्न भिन्न रंगों में खिले फूलों
पाते हैं एकता हारों में,
भिन्न भिन्न राज्यों में बोली भाषाओं
पातीं हैं एकता नागरी लिपि में
भारत को जोड़ो नागरी लिपि से,
पाओगे एकता और भी विक्ष्व में!
जय भारत! जय नागरी लिपि!